शनिवार, 25 अगस्त 2012
सान्निध्य सेतु: साहित्यकार-5 में रघुनाथ मिश्र और ‘आकुल’
सान्निध्य सेतु: साहित्यकार-5 में रघुनाथ मिश्र और ‘आकुल’: निरुपमा प्रकाशन मेरठ की ‘साहित्यकार’ प्रकाशन शृंखला की पाँचवी कड़ी में पाँच कवियों में कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार और जनकवि विद्या वाचस्प...
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
“कोयला भी हैं खाने लगे”
“कोयला भी हैं खाने लगे”
बेईमानी की आंधी चली इतनी जोर से,
कि ईमान के पर्वत भी डगमगाने लगे .
दंभ भरते थे, जो अपने पाक-साफ़ होने का,
वो कदम भी बढ़कर कोठों तक आने लगे .
चारों ओ़र से चुप-चाप चोरी में जो लगे रहे,
देखो आज वही सब, चोर-चोर चिल्लाने लगे.
जन्नत समझ कर जिसे, गए थे लोग वहाँ,
वहाँ जाकर, वही मुकाम उन्हें कैदखाने लगे
पेट की भूख इतनी बढ़ गई अब 'शैलेश'
देखो, लोग आज कोयला भी हैं खाने लगे.
बेईमानी की आंधी चली इतनी जोर से,
कि ईमान के पर्वत भी डगमगाने लगे .
दंभ भरते थे, जो अपने पाक-साफ़ होने का,
वो कदम भी बढ़कर कोठों तक आने लगे .
चारों ओ़र से चुप-चाप चोरी में जो लगे रहे,
देखो आज वही सब, चोर-चोर चिल्लाने लगे.
जन्नत समझ कर जिसे, गए थे लोग वहाँ,
वहाँ जाकर, वही मुकाम उन्हें कैदखाने लगे
पेट की भूख इतनी बढ़ गई अब 'शैलेश'
देखो, लोग आज कोयला भी हैं खाने लगे.
"चाँद को निहारने की बात"
"कोयला भी हैं खाने लगे"
रविवार, 19 अगस्त 2012
भाईचारा बढ़े
सान्निध्य: भाईचारा बढ़े: भाईचारा बढ़े संग हम सब त्योहार मनायें। एक ही घर परिवार शहर के हैं सबको अपनायें। क्यूँ आतंक घृणा बर्ब...
बुधवार, 15 अगस्त 2012
आज जो भी है वतन
सान्निध्य: आज जो भी है वतन: 15 अगस्त 2012 पर सभी को नमन शुभकमानायें वंदे मात रम् इस पर्व पर हुतात्माओं को श्रद्धांजलि जिनके अथक परिश्रम से मिली इस...
मंगलवार, 14 अगस्त 2012
स्वतंत्रता दिवस
मैंने मित्र से पूछा
क्या बात है
हमसे छुप रहे हो
बहुत खुश दिख रहे हो?
मित्र बोला-
हाँ
मैं आज बहुत खुश हूँ
इसलिए
देशभक्ति के गीत गा रहा हूँ
और
स्वतंत्रता दिवस मना रहा हूँ
मैंने कहा
लेकिन
आज तो स्वतंत्रता दिवस नहीं है!
मित्र बोला
यह सही है
कि
आज स्वतंत्रता दिवस नहीं है
लेकिन-
मुझे इस बात का गम नहीं है
क्योंकि
पत्नी का मायके जाना भी
किसी
स्वतंत्रता दिवस से कम नहीं है।
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