बुधवार, 26 सितंबर 2012
सान्निध्य दर्पण: 'आकुल'
सान्निध्य दर्पण: 'आकुल': जब से मन की नाव चली। अँगना छूटा, घर गलियाँ भी।। पनघट कहाँ, कहाँ अठखेली, जमघट से बाजार पटे। बटवृक्षों की थाती इतनी, रिश्...
रविवार, 23 सितंबर 2012
सान्निध्य सेतु: हाड़ौती के शतायुपार कवि डा0 भ्रमर को उनकी पुस्तक ...
सान्निध्य सेतु: हाड़ौती के शतायुपार कवि डा0 भ्रमर को उनकी पुस्तक ...: सम्मानित करते साहित्यकार बाये से दायें- हिमांशु बवंडर, डा0 नलिन, एहतेशाम अख्तर पाशा, शरद जायसवाल, डा0 रघुनाथ मिश्र, डा0 भ्रमर के पुत्...
गुरुवार, 20 सितंबर 2012
कोयला भी हैं खाने लगे
बेईमानी की आंधी चली इतनी जोर से,
कि ईमान के पर्वत भी डगमगाने लगे .
दंभ भरते थे, जो अपने पाक-साफ़ होने का,
वो कदम भी बढ़कर कोठों तक आने लगे .
चारों ओ़र से चुप-चाप चोरी में जो लगे रहे,
देखो आज वही सब, चोर-चोर चिल्लाने लगे.
जन्नत समझ कर जिसे, गए थे लोग वहाँ,
वहाँ जाकर, वही मुकाम उन्हें कैदखाने लगे
पेट की भूख इतनी बढ़ गई अब 'शैलेश'
देखो, लोग आज कोयला भी हैं खाने लगे.
- कवि शैलेश शुक्ला
मंगलवार, 18 सितंबर 2012
सान्निध्य: जय गणेश देवा
सान्निध्य: जय गणेश देवा: कुण्डलियाँ (1) श्रीगणेश , हे अष्टविनायक , शैलसुता के नंदन। प्रथम पूज्य, गणपति, गणनायक करूँ आरती वंदन। करूँ आरती वंदन बुद्धि...
सोमवार, 17 सितंबर 2012
सान्निध्य दर्पण: पूर्णिमा वर्मन
सान्निध्य दर्पण: पूर्णिमा वर्मन: यादों की घनी छाँह से पर्वत के देवदार बचपन के एक गाँव से पर्वत के देवदार गरमी की तंग साँस में राहत बने हुए भीगे हुए तुषार से पर्वत के द...
बुधवार, 12 सितंबर 2012
सान्निध्य दर्पण: रामेश्वर शर्मा
सान्निध्य दर्पण: रामेश्वर शर्मा: 10-09-2012वानप्रस्थी हूँ अभी संन्यास बाकी है देखना भीतर मुझे मधुमास बाकी है.
रविवार, 9 सितंबर 2012
सान्निध्य: अपनी हिन्दी
सान्निध्य: अपनी हिन्दी: कुण्डलियाँ (1) हिन्दी के उन्नयन को, बने एक सहमति। नुक्कड़ नाटक, हस्ताक्षर अभियान चले द्रुतगति। अभियान चले द...
सान्निध्य: हिन्दी को करें बेहिसाब प्यार
सान्निध्य: हिन्दी को करें बेहिसाब प्यार: हिन्दी को करें हम अब, बेहिसाब प्यार। मातृ भाषा, राष्ट्रभाषा का गौरव अपार। सीखें, बोलें इसकी बतायें विशेषता। भाषाएँ दिखाद...
शनिवार, 8 सितंबर 2012
सान्निध्य: साक्षरता
सान्निध्य: साक्षरता: कुण्डलियाँ (1) बच्चे - बूढ़े-प्रोढ़-नार-नर, सब हों अक्षरज्ञानी। कैसे समझेंगे दुनिया को, अनपढ़ और अज्ञानी। अनपढ़ और अज्ञान...
गुरुवार, 6 सितंबर 2012
सान्निध्य: हिन्दी के लिए
सान्निध्य: हिन्दी के लिए: हिन्दी के लिए समग्र हों, अब दृढ़ निश्चयी। बहुत रहे संघर्षरत अब पर्व मनायें। दूजी सीढ़ी पर हैं गौरव गाथा गाये। इससे...
मंगलवार, 4 सितंबर 2012
सान्निध्य: शिक्षक
सान्निध्य: शिक्षक: जो शिक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं। जो दीक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते है। दिशा दिखाये, दे दृष्टांत, आगाह करे,...
सोमवार, 3 सितंबर 2012
अबनीश सिंह चौहान
सान्निध्य दर्पण: अबनीश सिंह चौहान: युवा नवगीतकार अवनीश सिंह चौहान को प्रथम कविताकोश 2011 पुरस्कार नयी चलन के इस कैफे में प्रथम कविताकोश के लिए प्रशस्ति पत्र औ...
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