सोमवार, 25 मार्च 2013
सान्निध्य: किसलय दिनों की होली
सान्निध्य: किसलय दिनों की होली: याद आती है किसलय दिनों की होली। काठ कबाड़ लकड़े झाड़ी ऊपलों की माला ढेर करना होरी डाँड़े को गाड़ कर मोहल्ले में चंदा इकट्ठा...
सान्निध्य: होली के रंगों में
सान्निध्य: होली के रंगों में: होली के रंगों में भरना होगा यह संज्ञान बदरंग ना होगा जीवन का कोई भी सोपान जा पुरवाई उस घर जिसमें खामोशी पसरी है सूनी आँखों ...
सान्निध्य: नहीं सद्भाव बढ़े
सान्निध्य: नहीं सद्भाव बढ़े: आए गए त्योहार नहीं सद्भाव बढ़े सच तो यह है हरसू अत्याचार बढ़े। लोक लाज कुल मर्यादाएँ बहिन बहू बेटी माताएँ सीता होली ...
गुरुवार, 7 मार्च 2013
स्त्री-पुरूष
सहज सकते हो
केवल
अपना अहम्
वह (स्त्री) सहेजती है
पीड़ा और दर्द
पुरूष शब्द
तुम्हारे मस्तिष्क और
तुम्हारी सोच को
खाली कर चुका है
विपरीत इसके
स्त्री भरी रहती है हमेशा
अपनी आंखों में आँसू
क्योंकि
इकठ्ठा करना जानती है वह
भरी रहती हैं हमेशा
उसकी दोनों आँखें इसलिए तो
पलकें नम रहती हैं
और
उसके सुख
जगह नहीं मिलने पर
लौट जाते हैं खाली हाथ
पुरूष से स्त्री का
भेद सिर्फ इतना है कि
स्त्री
वह शब्द है
जब
कहा जाए
परिभाषा लिखो दुःख की
तो
मात्र एक शब्द ही पर्याप्त है
“स्त्री”।
महिला दिवस पर विशेष
आज महिला दिवस है। मेरी ओर से नारी शक्ति को हार्दिक
शुभकामनाएँ।
आज महिलाओं के विषय में जो तर्क दिये जाते हैं वह बेमानी
साबित हो रहे हैं। मैं केवल एक ही तर्क रखता हूँ उस पर जरा सोचिए- कि नारी को आप
किस रूप में मान्य करते हैं? नारी अभिशाप है अथवा वरदान? मत भिन्न हो सकते हैं पर निःसंदेह
जो भी जीव अथवा निर्जीव किसी को कुछ देता है तो वह वरदान ही हो सकता है अभिशाप
नहीं। नारी ने ब्रह्माण्ड की अमूल्य धरोहर मानव शक्ति को जन्म दिया है। नारी जब
हमें कुछ दे रही है तब वह वरदान ही है। ऐसे पुरूष जिनकी सोच का दायरा नारी के
प्रति सीमित है उनके लिए मैं कहना चाहता हूँ कि वह यदि सीता जैसी पत्नी चाहते हैं
तो अपने आचरण में राम जैसे संस्कार भी लाएँ।
अंत में अपनी बात को विराम देने से पहले यह कहना चाहता हूँ कि महिलाओं का
सम्मान मात्र महिला दिवस और कागजों तक ही न रहे। अपितु नारी के सम्मान को अपने
जीवन में आत्मसात करके संकल्प लें कि केवल महिला दिवस के दिन ही नहीं बल्कि
प्रत्येक दिन नारी का सम्मान हो। मैं दावा करता हूँ कि आप प्रयास तो कीजिए आपकी
भावनाएँ स्वतः ही बदल जाएंगी।
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