सहज सकते हो
केवल
अपना अहम्
वह (स्त्री) सहेजती है
पीड़ा और दर्द
पुरूष शब्द
तुम्हारे मस्तिष्क और
तुम्हारी सोच को
खाली कर चुका है
विपरीत इसके
स्त्री भरी रहती है हमेशा
अपनी आंखों में आँसू
क्योंकि
इकठ्ठा करना जानती है वह
भरी रहती हैं हमेशा
उसकी दोनों आँखें इसलिए तो
पलकें नम रहती हैं
और
उसके सुख
जगह नहीं मिलने पर
लौट जाते हैं खाली हाथ
पुरूष से स्त्री का
भेद सिर्फ इतना है कि
स्त्री
वह शब्द है
जब
कहा जाए
परिभाषा लिखो दुःख की
तो
मात्र एक शब्द ही पर्याप्त है
“स्त्री”।
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