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शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

सान्निध्य: ग़ज़ल

सान्निध्य: ग़ज़ल: रह जाते हैं ज़िंदगी में, अनसुलझे कुछ सवाल अकसर। रह जाते हैं तिश्‍नगी 1 में, अनबुझे कुछ सवाल अकसर। मुसव्विर 2 भी कभी-कभी मुत्‍मईन 3 न...

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