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शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
सान्निध्य: आईने से क्या कोई झूठ बोल सकता है (ग़ज़ल)
सान्निध्य: आईने से क्या कोई झूठ बोल सकता है (ग़ज़ल)
: आईने से क्या, कोई झूठ बोल सकता है। बिना चाबी क्या, कोई कुफ़्ल 1 खोल सकता है। सच्चाई छिपती नहीं सात परदों में भी, तराजू में क्...
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