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मंगलवार, 27 मार्च 2012

सदी के हत्यारे

नेता

अमानवीय कृत्यों की

पराकाष्ठा हो तुम

तुम्हारा

छल-छद्म देखकर

भेडियों ने आत्महत्या कर ली

तुम

बोलते नहीं

आग उगलते हो

तुम्हारा

मौन रहकर मंथन करना

निश्चित

विनाश का संकेत है

तुम्हारा

कौवे सा सयानापन

सबूत है

तुम्हारे काने होने का

बेवकूफ हैं वे

जो

करते हैं वर्ष भर इंतजार

नाग-पंचमी पर दूध पिलाने का

इसके अलावा भी

तीन सौ चौंसठ दिनों का

विकल्प है उनके पास

सच तो यह है

कि आज

गलतफहमी में जीता है समाज

क्योंकि

जो शांति के उपासक घोषित हैं

वे ही

इस सदी के हत्यारे हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!!!!!!!!!!

    गहन अभिव्यक्ति....

    सादर.
    अनु

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    उत्तर
    1. आदरणीया अनु जी मेरी कविता "सदी के हत्यारे" पर अपनी सार्थक टिप्पणी करने के लिए मैं आपकी उच्च साहित्यिक सोच के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ और आपके महान व्यक्तित्व को प्रणाम करता हूँ। सहर्ष स्वीकार करें।

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