अखिल भारतीय स्तर पर कवियों का खुला मंच
जब भी
होली का दिन आता है
वह भिखारी
बडा खुश हो जाता है
क्योंकि
उसी दिन तो वह
फटे-पुराने कपडे पहनकर
समाज में
गले मिल पाता है।
achha vishleshan .....badhai sweekaren .
achha vishleshan .....badhai sweekaren .
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