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शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

पत्नी और पाकिस्तान

एक दिन मेरी भाग्यविधाता अर्थात मेरी एकमात्र श्रीमती जी सुबह-सुबह छ: बजे टी० वी० खोलकर पाकिस्तान टी० वी० चैनल का प्रोग्राम देखने लगी। मुझे लगा कि श्रीमती जी पाकिस्तान से कुछ ज्यादा ही प्रभावित हैं। इसलिए पाकिस्तान टी० वी० का प्रोग्राम देख रही है। ऐसा सोचकर पत्नी को टी० वी० देखता छोड़कर मैं प्रतिदिन की भांति अपने कार्य पर चला गया।सांयकाल पाँच बजे दिनभर शिकार की खोज में भटके हुए थके शिकारी सा चेहरा और थकान लिए मैं घर पहुँचा तो देखा, जीर्ण-शीर्ण द्वार पर किसी दूसरी चाबी से न खुलने वाला, आठ लीवर का हरीसन ताला लटक कर मेरी दयनीय स्थिति पर हँसता हुआ मजे से झूल रहा है और बन्द ताले में चलता टी० वी० मारूति उद्योग के निरन्तर बढ़ते लाभ की तरह, विद्युत विभाग को मेरी जेब से मारूति कार के पिकअप की तरह गति प्रदान कर रहा है। मैंने अनुमान लगाया कि टी० वी० भूलवश सुबह से ही अखण्ड रामायण के पाठ की तरह बिना रूके चल रहा है। क्योंकि पाकिस्तान टी० वी० का प्रोग्राम भला घंटों कोई क्यों देखेगा ?श्रीमती जी बस अब आने ही वाली हैं ऐसा सोच-सोचकर समय ठीक उसी तरह बढ़ता रहा जैसे रेलवे स्टेशन पर विलम्ब से आने वाली रेलगाड़ी का समय द्रौपदी के चीर सा बढ़ता चला जाता है। अर्जुन के लक्ष्य चिड़िया की आँख की तरह ताले को अपना लक्ष्य बनाए हुए मुझे पूरे-पूरे दो घंटे हो चुके थे। अपने भाग्य को पिंजरे में बन्द चिड़िया की तरह कोसता ताला और राहू-केतू से घिरे जातक की तरह मैं, दोनों ही एक दूसरे को चोर दृष्टि से घंटो घूरते रहे। अंततः पत्नी रूपी मेरी गाड़ी के आने का अनाउन्समेन्ट पड़ोसी के हकलाते बच्चे, पप्पू द्वारा किया गया। अंकल जी, अंकल जी आंटी जी आने वाली हैं, सड़क के मोड़ तक आ चुकी हैं। इतना सुनते ही मैंने कड़कड़ाती सर्दी के मौसम में भी जेठ माह की तपती दोपहरी में मिले शीतल जल सा सुखद अनुभव किया। किन्तु अनाउन्समेन्ट होने के एक घंटे बाद तक भी जब श्रीमती जी नहीं आईं तो मुझे लगा कि मेरे भाग्य ने साढ़ेसाती से प्रभावित शनि ग्रह के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।तभी पड़ोसी का लड़का पप्पू मुझे बाहर देखकर बोला, अरे अंकल लगता है आंटी जी अभी तक नहीं आई हैं। मैं देखकर आता हूँ, ऐसा कहकर उसने मेरी दुखती नस पर हाथ रखा तो मैंने कहा, बेटा, विलम्ब से आने वाली रेलगाड़ी का समय कभी निर्धारित नहीं होता है। पाँच मिनिट बाद पप्पू ने टॉफी के लालच में मेरा दूत बनते हुए गुप्त सूचना दी कि आंटी जी चौराहे पर मिसेज शर्मा से बात कर रही हैं। मैं समझ गया कि मिसेज शर्मा ने मेरी गाड़ी की चेन पुलिंग कर दी है। अब मैं खुद को सेना द्वारा किये गए अपदस्थ राष्ट्रपति सा लाचार समझने लगा। क्योंकि मुझे अब डर लगने लगा था कि कहीं फिर से कोई अन्य महिला पुनः मेरी रेलगाड़ी की चेन पुलिंग न कर दे। रात्रि के आठ बजकर बीस मिनिट और बत्तीस सेकेन्ड पर घनघोर अंधेरे में बिना नाल लगे घोड़े के टापों सी आवाज अर्थात पत्नी के पदचापों का स्वर सुनाई पड़ा। पत्नी को आते देख मेरा साढ़ेसाती शनि तुरन्त उतर गया और मेरे हृदय में मन्नत मांगने पर प्रथम पुत्र प्राप्त होने सा सुखद अनुभव हुआ। लेकिन पड़ोसी के पप्पू ने पुनः गाड़ी प्लेटफॉर्म पर आने से ठीक पहले ही आउटर पर चेन पुलिंग कर दी और पूछने लगा कि आंटी जी आप कहां गईं थीं। पप्पू ने मात्र कहाँ शब्द का ही स्विच दबाया था और बस श्रीमती जी द्वारा न रूकने वाले डबल हेड का टेप रिकॉर्ड चालू हो गया। बेटा, मैं फिल्म देखने गई थी, बड़ी अच्छी फिल्म थी कहते हुए श्रीमती जी ने बिना रूके विज्ञापन सहित पूरी फिल्म की कथा सुना दी। हम पुनः गाड़ी के प्लेटफॉर्म पर आने की प्रतीक्षा करते रहे। नौ बजकर चालीस मिनिट पाँच सेकेण्ड पर पत्नी ने ताला खोलकर घर में प्रवेश किया। हमने भी मालिक के पीछे-पीछे जा रहे नौकर सा अनुसरण करते हुए घर में प्रवेश किया तो घंटो कतार में लगने के बाद मंगला आरती पाने और देवी दर्शन करने पर मिलने वाली सफलता जैसा सुखद अनुभव किया। सर्वप्रथम हमने दयाल बाग में अनवरत चलने वाले निर्माण कार्य की तरह पन्द्रह घंटे बीस मिनिट पाँच सेकेण्ड से बिना ब्रेक की रेलगाड़ी की तरह चल रहे पाकिस्तान टी० वी० के कार्यक्रम को बन्द करने के लिए रिमोट कंट्रोल उठाया तो अमेरिका की तरह वीटो पावर का प्रयोग करते हुए पत्नी बोली कि अब यह कभी बन्द नहीं होगा, ऐसे ही चलता रहेगा। मैंने कहा, क्यों बिजली का बिल बढ़ाकर पाकिस्तान की तरह मेरी आर्थिक व्यवस्था बिगाड़ रही हो। वह बोली, चलने दो। इसमें आपका क्या जाता है ? मैंने कहा, इसमें केवल मेरा ही सब कुछ जाता है। नासमझ श्रीमती जी पुनः बोलीं, लगता है आप चालीस वर्ष की आयु में ही सठिया गए हो। मैं गारंटी लेती हूँ कि आपका कुछ नहीं होगा जो होगा पाकिस्तान का ही होगा। मैंने कहा कि तुम्हें जिस अध्यापक ने गणित विषय पढ़ाया है, लगता है वह गणित का नहीं बल्कि चित्रकला का मेधावी छात्र रहा होगा। तुम ही बताओ किस विधि से पाकिस्तान का नुकसान होगा। श्रीमती जी हमें बेवकूफ घोषित करते हुए बोलीं कि लगता है आप नकल करके पास हुए हो, क्या आप इतना भी नहीं समझते कि जब मैं पाकिस्तान टी० वी० चैनल का प्रोग्राम देखूंगी तो बिजली हमारी नहीं बल्कि पाकिस्तान की ही खर्च होगी और बिल भी उनका ही बढ़ेगा। इसलिए मैंने पाकिस्तान के विरूद्ध एकल युद्ध का संकल्प ले लिया है और जब तक पाकिस्तान कश्मीर भारत को नहीं सौंपता मैं इसी तरह टी० वी० चलाकर, पाकिस्तान का बिजली का बिल बढ़ाती रहूँगी। मुझे पत्नी का भ्रम समझते देर नहीं लगी और मैंने कहा अरे पगली टी० वी० अपना, बिजली का मीटर अपना, फिर बिजली उनकी नहीं अपनी ही खर्च होगी। घंटो तक असफल प्रयास करने के बाद भी जब यह बात श्रीमती जी की समझ में नहीं आई तो मैंने जैसे-तैसे मरीज की इच्छा के विरूद्ध उबली लोकी की सब्जी खिलाने जैसा कठोर निर्णय लेते हुए टी० वी० बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था वाले ग्राफ को नीचे गिरने से पहले ही बचा लिया और अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भगवान ही बचाएं।

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