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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

गाफिल की सीख

जीवन यौवन चार दिन, नश्वर ये संसार ।

गाफिल हरि से हेत कर, गर चाहे उद्धार।।

छोड़ो धन की लालसा, रूके न धन इक ठौर।

तुझ पर है धन आज जो, कल्ल कहीं वो और।।

माया मन रूकते नहीं, चलते ये दिनरात।

तज माया को मन लगा, कुछ पल हरि के साथ।।

तन को धो उजला करें, दिन में सौ-सौ बार।

गाफिल मन को धो जरा, जामें सकल विकार।।

धोने से तन वसन को, चैन मिले इक बार ।

मन को धो कर देख ले, जीवन भर सुख यार।।

कुदरत करती काम निज, तू भी कर निज काम।

पर ईश्वर को भूल मत, जिसका जगत गुलाम।।

चोर भिखारी शाह या, बुरा भला शैतान।

सबके दाता हैं प्रभू, कर उनका गुणगान।।

दुःख के बदले दुःख मिले , सुख के बदले सुक्ख।

गाफिल अच्छे काम कर, मिट जायें सब दुक्ख।।

शिष्ट भक्त संत जन, दुनिया में हैं चंद।

जिनके दर्शन मात्र से, मिले परम आनंद।।

जाते हैं सब स्वर्ग में, गाफिलमर कर लोग।

स्वीकारे कोई नहीं, नरकवास का योग।।

मन में लो संकल्प तुम, चलो सत्य की राह।

पूरी होगी एक दिन, जीवन की हर चाह।।

माया सुख-दुःख दारिणी, मोह विपति का जाल।

मद की अंधी चाल है, गाफिल करो खयाल।।

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