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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

जग-जननी नारी

धन्य-धन्य जग-जननी नारी,
नमन तुम्हें है बारंबार।
नाम काम सब धन्य तुम्हारे,
नग्न प्रदर्शन को धिक्कार।।
वंदनीय ओ रूप स्वरूपा,
विकृत हुआ क्यों तेरा चेहरा।
चल कर देखो जरा सुपथ पर,
जीवन होगा बड़ा सुनहरा।।
आज किसी भी नारी को,
अबला कहना है नादानी।
नारी है अब सबला उसकी,
शक्ति सबने पहिचानी।।
हिन्द देश का नारी ने,
दुनिया में मान बढ़ाया है।
नारी को सम्मान सदा दो,
सब उसकी ही माया है।।
नारी माँ है नारी बेटी,
बहिन और महतारी वो।
नारी सबकी रही चहेती,
नर से ज्यादा भारी वो।।
नारी जग जननी है, ये सच-
कैसे तुम झुठलाओगे।
नारी को दुःख देकर मित्रो,
सुखी नहीं रह पाओगे।।

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