फागुन के महीने का, नाम रंगीला है।
भौजी और देवर का, पैगाम रंगीला है।।
बृजधाम में होरी के, रंगों की छटा न्यारी;
राधा भी रंगी रंग में, घनश्याम रंगीला है।।
फागुन का महीना है, रंगीला है मौसम।
दिन रात रंगीले हैं, रंगों में है सरगम।।
रंगों में रंगी राधा, श्याम रंगे रंग में;
देवर और भौजी के, है प्यार के रंग में दम।।
होरी में दिवरिया पै, भौजी रंग डारि गई।
सूरत कूँ रंग औ‘ गुलाल सौं बिगारि गई।।
पीछे वारी होली की, कसकहू निकारि गई;
नैनन सौं बैनन कौ काम लै दुलारि गई।।
होरी में भौजी नै ऐसौ रंग डारयौ है।
तन कूँ बिगारयो जानै मन कूँ बिगारयो है।।
गालन गुलाल मलि, प्यार सौं दुलारयो है;
नैनन के बार सौं, बार बार मारयो है।।
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